सरकार का बड़ा फैसला: पेट्रोल-डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ा
8 अप्रैल से लागू होगी नई दर
भारत सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) में 2-2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह नई दर 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी। सरकार का कहना है कि यह कदम वैश्विक तेल कीमतों में अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी उथल-पुथल को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
सरकार का दावा: आम जनता पर नहीं पड़ेगा असर
उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद सरकार का दावा है कि इसका सीधा असर आम नागरिकों पर नहीं पड़ेगा। अधिकारियों के अनुसार, इस फैसले से घरेलू बाजार में तेल की कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलेगी और इससे सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
वैश्विक परिस्थितियों के चलते लिया गया निर्णय
तेल कीमतों में यह संशोधन ऐसे समय पर किया गया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं। अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए जवाबी टैरिफ ने भी वैश्विक स्तर पर तेल बाजार को प्रभावित किया है। ऐसे में भारत सरकार के इस फैसले को घरेलू अर्थव्यवस्था की सुरक्षा की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
आम जनता और उद्योगों पर संभावित असर
हालांकि सरकार यह दावा कर रही है कि आम जनता पर इसका असर नहीं होगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का असर अंततः उपभोक्ताओं तक पहुंच सकता है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से परिवहन लागत में वृद्धि होती है, जो सीधे तौर पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में इजाफा कर सकती है।
इसके अलावा, परिवहन, निर्माण और कृषि जैसे उद्योगों पर भी इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि ये क्षेत्र ईंधन पर काफी हद तक निर्भर रहते हैं। इससे इन क्षेत्रों में उत्पादन लागत बढ़ने की संभावना है, जिसका बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर ही पड़ सकता है।
राजस्व बढ़ाने की रणनीति भी
विशेषज्ञों के अनुसार, यह निर्णय केवल तेल की कीमतों को स्थिर करने के उद्देश्य से नहीं लिया गया है, बल्कि इसका एक बड़ा उद्देश्य सरकार की राजस्व आय में वृद्धि करना भी है। वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, सरकार घरेलू संसाधनों के माध्यम से वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की कोशिश कर रही है।