सिरसा की बेटी मेजर कर्मजीत कौर रंधावा ने रचा इतिहास

सिरसा की बेटी मेजर कर्मजीत कौर रंधावा ने रचा इतिहास


ग्रामीणों व परिजनों ने किया सम्मान, बेटियों के लिए बताया प्रेरणास्त्रोत


11 सदस्सीय टीम ने हवा से चलने वाले जहाज में किया सफलतापूर्वक 6500 किलोमीटर का सफर


सिरसा। मन में कुछ कर गुजरने का मादा हो और इरादे दृढ़ हों तो मुश्किल से मुश्किल मुकाम को भी आसानी से पाया जा सकता है। समुद्र की गर्म लहरों और थकान का सामना करते हुए भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की महिला अधिकारियों की टीम ने मेजर कर्मजीत कौर रंधावा के नेतृत्व में इतिहास रच दिया है।

इस इतिहास की साक्षी बनी है सिरसा के गांव कंगनपुर निवासी एडवोकेट रिछपाल सिंह की होनहार बेटी मेजर कर्मजीत कौर। तूफानों, थकान और तूफानी समुद्र का सामना करते हुए सेशेल्स तक 6500 किलोमीटर समुद्री मील की ऐतिहासिक समुद्री यात्रा भारतीय निर्मित समुद्री जहाज से सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद टीम मुंबई लौट आई। रविवार को मेजर कर्मजीत कौर सिरसा पहुंची, जहां परिजनों व ग्रामीणों ने बेटी को सर आंखों पर बैठाया और उसके प्रयासों की सराहना करते हुए इसे दूसरी बेटियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बताया। कर्मजीत कौर के परिवार में उनके पिता एडवोकेट रिछपाल सिंह रंधावा, माता राजविंद्र कौर व भाई एडवोकिट अर्शप्रीत सिंह रंधावा हंै।
ये रहा सफरनामा:


बतौर मेजर कर्मजीत कौर रंधावा उसका शुरू से ही लक्ष्य था कि वह सेना में जाए। उसने कई टेस्ट दिए और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसका 2015 में चयन फौज में हो गया। वह अभी मुंबई में कार्यरत है। उसने बताया कि 7 अप्रैल को मुंबई से इस अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। यह बोट ऐसी थी, जोकि हवा से ही चलती थी, न तो डीजल था, न लाइट और न ही अत्यधिक सामान साथ ले जा सकते थे। लाइट सोलर सिस्टम से ही जलती थी, जिस लाइट की जरूरत थी, वही जलाते थे। हालांकि इस अभियान के दौरान अनेक परेशानियां भी आई, लेकिन मन में एक जुनून था और दृढ़ निश्चय था कि चाहे कुछ भी हो, बस आगे जाना है। पूरी टीम ने हौंसले के साथ इस अभियान को पूरा कर पूरे भारतवासियों का सर गर्व से ऊंचा करने का काम किया है।
मील का पत्थर साबित होगी यह समुद्री यात्रा: मेजर कर्मजीत कौर रंधावा


यह अभियान भारतीय सेना की समुद्री यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो सेना, नौसेना और वायु सेना में महिला अधिकारियों की परिचालन शक्ति और तालमेल को प्रदर्शित करता है। इस टीम में भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा, मेजर कर्मजीत कौर, मेजर तान्या, कैप्टन ओमिता, कैप्टन दौली, कैप्टन प्राजक्ता, भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका और भारतीय वायु सेना की स्क्वाड्रन लीडर विभा, स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी, स्क्वाड्रन लीडर वैशाली शामिल थीं। स्वदेश निर्मित 56 फुट लंबे जहाज त्रिवेणी पर सवार सभी महिला चालक दल ने दो महीने तक खुले समुद्र की कठोर परिस्थितियों में उष्णकटिबंधीय तूफानों, समुद्र की उच्च स्थितियों और लंबे समय तक थकान से जूझते हुए यात्रा की। मेजर कर्मजीत कौर ने कहा कि यह सरकारी प्रोजेक्ट था, जिसपर करोड़ों रुपए खर्च हुआ। यह मिशन भारत के रक्षा परिदृश्य में अग्रणी योगदानकर्ताओं के रूप में महिलाओं की उभरती भूमिका को रेखांकित करेगा। अभी त
ग्रामीणों व परिजनों ने किया सम्मान, बेटियों के लिए बताया प्रेरणास्त्रोत


11 सदस्सीय टीम ने हवा से चलने वाले जहाज में किया सफलतापूर्वक 6500 किलोमीटर का सफर
सिरसा। मन में कुछ कर गुजरने का मादा हो और इरादे दृढ़ हों तो मुश्किल से मुश्किल मुकाम को भी आसानी से पाया जा सकता है।

समुद्र की गर्म लहरों और थकान का सामना करते हुए भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की महिला अधिकारियों की टीम ने मेजर कर्मजीत कौर रंधावा के नेतृत्व में इतिहास रच दिया है। इस इतिहास की साक्षी बनी है सिरसा के गांव कंगनपुर निवासी एडवोकेट रिछपाल सिंह की होनहार बेटी मेजर कर्मजीत कौर।

तूफानों, थकान और तूफानी समुद्र का सामना करते हुए सेशेल्स तक 6500 किलोमीटर समुद्री मील की ऐतिहासिक समुद्री यात्रा भारतीय निर्मित समुद्री जहाज से सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद टीम मुंबई लौट आई।

रविवार को मेजर कर्मजीत कौर सिरसा पहुंची, जहां परिजनों व ग्रामीणों ने बेटी को सर आंखों पर बैठाया और उसके प्रयासों की सराहना करते हुए इसे दूसरी बेटियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बताया। कर्मजीत कौर के परिवार में उनके पिता एडवोकेट रिछपाल सिंह रंधावा, माता राजविंद्र कौर व भाई एडवोकिट अर्शप्रीत सिंह रंधावा हंै।
ये रहा सफरनामा:


बतौर मेजर कर्मजीत कौर रंधावा उसका शुरू से ही लक्ष्य था कि वह सेना में जाए। उसने कई टेस्ट दिए और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसका 2015 में चयन फौज में हो गया। वह अभी मुंबई में कार्यरत है। उसने बताया कि 7 अप्रैल को मुंबई से इस अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। यह बोट ऐसी थी, जोकि हवा से ही चलती थी, न तो डीजल था, न लाइट और न ही अत्यधिक सामान साथ ले जा सकते थे। लाइट सोलर सिस्टम से ही जलती थी, जिस लाइट की जरूरत थी, वही जलाते थे।

हालांकि इस अभियान के दौरान अनेक परेशानियां भी आई, लेकिन मन में एक जुनून था और दृढ़ निश्चय था कि चाहे कुछ भी हो, बस आगे जाना है। पूरी टीम ने हौंसले के साथ इस अभियान को पूरा कर पूरे भारतवासियों का सर गर्व से ऊंचा करने का काम किया है।
मील का पत्थर साबित होगी यह समुद्री यात्रा: मेजर कर्मजीत कौर रंधावा


यह अभियान भारतीय सेना की समुद्री यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जो सेना, नौसेना और वायु सेना में महिला अधिकारियों की परिचालन शक्ति और तालमेल को प्रदर्शित करता है। इस टीम में भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा, मेजर कर्मजीत कौर, मेजर तान्या, कैप्टन ओमिता, कैप्टन दौली, कैप्टन प्राजक्ता, भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका और भारतीय वायु सेना की स्क्वाड्रन लीडर विभा, स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी, स्क्वाड्रन लीडर वैशाली शामिल थीं।

स्वदेश निर्मित 56 फुट लंबे जहाज त्रिवेणी पर सवार सभी महिला चालक दल ने दो महीने तक खुले समुद्र की कठोर परिस्थितियों में उष्णकटिबंधीय तूफानों, समुद्र की उच्च स्थितियों और लंबे समय तक थकान से जूझते हुए यात्रा की। मेजर कर्मजीत कौर ने कहा कि यह सरकारी प्रोजेक्ट था, जिसपर करोड़ों रुपए खर्च हुआ।

यह मिशन भारत के रक्षा परिदृश्य में अग्रणी योगदानकर्ताओं के रूप में महिलाओं की उभरती भूमिका को रेखांकित करेगा। अभी त

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